Milad Rahy Ga Naat Lyrics By Hafiz Tahir Qadri

02/10/2022 690

CHECK OUT The New Milad Rahy Ga Naat Lyrics(Urdu/Hindi) By Hafiz Tahir Qadri 2022. The Latest Urdu Naat Milad Rahy Ga Is Recited By Milad Rahy Ga And The Urdu/Hindi Lyrics Are Written By Milad Rahy Ga.

Milad Rahy Ga lyrics

Milad Rahy Ga Song Details

Song: Milad Rahy Ga
Singer: Hafiz Tahir Qadri Hafiz Ahsan Qadri Hanzala Qadri Hamza Qadri
Starring: Hafiz Tahir Qadri
Label: Hafiz Tahir Qadri
Rattings:

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Milad Rahy Ga Lyrics 🕮

Koi Gali Aisi Nahi Jo Na Saji Ho
Koi Bhi Ghr Aisa Nahi Jo Na Saja Ho
Mehfilein Duroood Ki , Nayaz Nabi Pak ﷺ Ki
Sharbat ki Sabilein , Mola Ny Ata Ki

Milad Rahy Ga ,Milad Rahy Ga
Milad Rahy Ga ,Milad Rahy Ga

Aaqa ﷺ ki Muhabbat Mein ,Ghr Bar Sajaein
Sarkar ﷺ ka Milad Chlo Mil ky Manaein

Jab Talak Dum Mein Hai Dum
Mujhe Mola ki Qasam
Meri Naslon Mein Chaly Ga
Ye Ruka Hai Na Rukay Ga

Sadaein Duroodon ki Ati Rahein Gi
Jinhein Sun ky Dil Shad Hota Rahy Ga
Khuda Ahle Sunnat ko Abad Rakhy
Muhammad ﷺ ka Milad Hota Rahy Ga

Aye Mery Mustafa ﷺ , Marhaba Ya Mustafa
Aj Hai Sb ki Sada , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Badshah E Do Jahan , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Tum ﷺ Sa koi Hai Kahan , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Assalam Ay Jany Jan ﷺ , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Keh Rahy Hain Ins o Jan , Marhaba Ya Mustafa ﷺ

Sara Zamana Kahy , Aj koi Na Ruky
Sans Chaly Yan Ruky , Nara Ye Lagta Rahy
Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Char Yaaron Ki Sada , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Ahle Bait Ny kaha , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Ghous E Pak Ny kaha , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Mery Raza Ny kaha , Marhaba Ya Mustafa ﷺ
Mery Murshid Ny kaha
 
Gali Gali Nagar Nagar Nara Lagy Ga
Milad Rahy Ga , Milad Rahy Ga
Milad Rahy Ga , Milad Rahy Ga

Islam ka Pegam Sada Zinda Rahy Ga
Sarkar ﷺ Tera Nam Sada Zinda Rahy Ga
Jab Tak Rahein Gy Dunya Mein Ush-shaq Salamat
Milad ka ye kam Sada Zinda Rahy Ga
 

कोई गली ऐसी नहीं जो ना साजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो ना साजा हो
महफ़िलें दुरूद की, नयाज़ नबी पाक की
शरबत की सबिलीन, मोला नया आटा किस

मिलाद रही गा, मिलाद रही गा
मिलाद रही गा, मिलाद रही गा

आका की मुहब्बत में ,घर बार सजैं
सरकार का मिलाद चलो मिल के माने

जब तलाक दम में है दम
मुझे मोला की कसम
मेरी नसलों में चली गा
ये रुका है ना रुके गा

सदायें दुरूदों की अति रहीं Gi
जिने सुन के दिल शाद होता रहा गा
खुदा अहले सुन्नत को अबद राख्यो
मुहम्मद का मिलाद होता रहा गा

ऐ मेरी मुस्तफा , मरहबा या मुस्तफा
आज है सब की सदा, मरहबा या मुस्तफा
बादशाह ए दो जहान, मरहबा या मुस्तफा
तुम सा कोई है कहां, मरहबा या मुस्तफा
असलम ऐ जानी जान , मरहबा या मुस्तफा
कह रही हैं इन ओ जान, मरहबा या मुस्तफा

सारा ज़माना कही, आज कोई ना रुक्यो
बिना चली यान रुकी, नारा ये लगता रहा
मरहबा या मुस्तफा
चार यारों की सदा, मरहबा या मुस्तफा
अहले बैत नया कहा, मरहबा या मुस्तफा
ग़ौस ए पाक नया कहा, मरहबा या मुस्तफा
मेरी रज़ा न्य कहा, मरहबा या मुस्तफा
मेरी मुर्शिद नय कहो
 
गली गली नगर नगर नारा लगी गा
मिलाद रही गा, मिलाद रही गा
मिलाद रही गा, मिलाद रही गा

इस्लाम का पेगाम सदा जिंदा रही गा
सरकार तेरा नाम सदा ज़िंदा रही गा
जब तक रहीं ग्य दुनिया में उश-शक सलामती
मिलाद का ये कम सदा ज़िंदा रही गा

बाजपन सी मैं मिलाद मनाता ही रहा हुन
घर बार मुहल्ले को सजता ही रहा हुन
मैं हूं सी जुडा रह नहीं स्कता मेरी यारो
सरकार का परचम मैं लगता हे रहा हुन

मिलाद क्या सदके स गुलामों पाय है रहमती
मिलादियों की देखो जहान भर में है इज्जत
कबरीन खुलिन तो देख क्या हेरान है साइंस
आका के गुलामों की तो चीहरी भी सलामती

माननीय हिंद में ख्वाजा की सबी चाहनी वाली
यान पाक वतन में मेरी डेटा की दीवानी
मिलाद तो उसके मंच में होता ही रहा है
इस बार ये जाए गा सितारें सी भी आग्य

बच्चन को मुहम्मद की गुलामी का बताना
आका की मुहब्बत में गुट्टी में पिलाना
तुम आल ओ सहाबा की फ़ज़ैल भी सुना कृ
आशिक बना रही हो तो सुन्नी ही बनाना

मिलाद है एमान मेरा क्यू ना मनौं
महफ़िल दरूद ए पाक की मैं क्यू ना सजौन
मिलाद के मनकीर स मेरा केसा ता-अलुकी
रिश्ता नबी की प्यारी गुलामों सई निभां

नमोस ए सहाबा की आलमदार रही ग्यो
अज़वाज ए मुक़द्दस के नमक खार रहीं ग्यो
हम स ना होन जी बैतें दस्त ए यज़ीद प्र
हम आले मुहम्मद के वफ़ादार रही ग्यो

अनवर की बरसात है रहमत की झड़ी है
ये अमीना क्या लाल के आने की घरी है
शरबत की सबीन कहीं सरकार का लंगर
खायें जी जगार क्या ये मिलाद ए नबी है

कोई गली ऐसी नहीं जो ना साजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो ना साजा हो
महफ़िलें दुरूद की, नयाज़ नबी पाक की
शरबत की सबिलीन, मोला नया आटा किस

बाजपन सी मैं मिलाद मनाता ही रहा हुन
घर बार मुहल्ले को सजता ही रहा हुन
मैं हूं सी जुडा रह नहीं स्कता मेरी यारो
सरकार का परचम मैं लगता हे रहा हुन

मिलाद क्या सदके स गुलामों पाय है रहमती
मिलादियों की देखो जहान भर में है इज्जत
कबरीन खुलिन तो देख क्या हेरान है साइंस
आका के गुलामों की तो चीहरी भी सलामती

माननीय हिंद में ख्वाजा की सबी चाहनी वाली
यान पाक वतन में मेरी डेटा की दीवानी
मिलाद तो उसके मंच में होता ही रहा है
इस बार ये जाए गा सितारें सी भी आग्य

बच्चन को मुहम्मद की गुलामी का बताना
आका की मुहब्बत में गुट्टी में पिलाना
तुम आल ओ सहाबा की फ़ज़ैल भी सुना कृ
आशिक बना रही हो तो सुन्नी ही बनाना

मिलाद है एमान मेरा क्यू ना मनौं
महफ़िल दरूद ए पाक की मैं क्यू ना सजौन
मिलाद के मनकीर स मेरा केसा ता-अलुकी
रिश्ता नबी की प्यारी गुलामों सई निभां

नमोस ए सहाबा की आलमदार रही ग्यो
अज़वाज ए मुक़द्दस के नमक खार रहीं ग्यो
हम स ना होन जी बैतें दस्त ए यज़ीद प्र
हम आले मुहम्मद के वफ़ादार रही ग्यो

अनवर की बरसात है रहमत की झड़ी है
ये अमीना क्या लाल के आने की घरी है
शरबत की सबीन कहीं सरकार का लंगर
खायें जी जगार क्या ये मिलाद ए नबी है

कोई गली ऐसी नहीं जो ना साजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो ना साजा हो
महफ़िलें दुरूद की, नयाज़ नबी पाक की
शरबत की सबिलीन, मोला नया आटा किस

Milad Rahy Ga Video




Hafiz Tahir Qadri Hafiz Ahsan Qadri Hanzala Qadri Hamza Qadri

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